
एक बेटे की चाहत होती है कि वह अपने पिता की सारी इच्छाओं को पूरा करे, यह फर्ज भी है। लेकिन ताजा हालातों को देखकर ऐसा बिल्कुल नहीं लगता। अब पिता भी किसी पार्टी विशेष के कारण नगण्य साबित होते जा रहे है, ताजा मामला भारत के पूर्व महामहिम प्रणव मुखर्जी की किताब से जुड़ा है ,जिसके पब्लिश होने में कुछ ही वक्त बचा है, जिसके पब्लिशर से बेटे अभिषेक मुखर्जी ने इसके पब्लिश न करने की गुहार लगाई है। हालांकि इस पर प्रणव दा की बेटी शर्मिष्ठा अपने भाई के सामने खुलकर आ गयी है।
मामला भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की बहुप्रतीक्षित किताब "प्रेसिडेंशियल ईयर " किताब से जुड़ा हुआ है, इस पुस्तक में दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति ने अपने राष्ट्रपति कार्यकाल में भारत में चल रहे सभी प्रकार के मामलों को अपने नजरिये से पेश करने की कोशिश की है, इस पुस्तक में दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति ने कांग्रेस पार्टी समेत अन्य राजनीतिक दलों की स्थिति को भी समझाने की कोशिश की है।
चूंकि यह पुस्तक आगामी वर्ष 2021 के शुरुआती माह में लोगों के सामने होगी इस पर उनके पुत्र अभिषेक मुखर्जी ने प्रकाशन (रूपा प्रकाशन से गुहार लगाई है) अपने ट्वीटस में अभिषेक ने लिखा है कि "प्रेसिडेंशियल ईयर के लेखक के पुत्र होने के नाते मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि आप इस पुस्तक के प्रकाशन को रोक दे, और इससे प्रेरित अंशो को भी बाहर आने से रोकें जो मेरी लिखित अनुमति के बिना सोशल मीडिया में तैर रहे है।
अपने ट्वीट्स में अभिषेक ने यह भी लिखा है कि चूंकि अब मेरे पिता जीवित नही है और उनके पुत्र होने के नाते मुझे यह जानने का अधिकार है कि मैं यह जानू की क्या यह प्रकाशन पहले जैसा है?
अपने ट्वीट्स में अभिषेक ने प्रकाशन से अनुरोध किया है कि कृपया इस प्रकाशन को तब तक के लिए रोक दी जब तक मैं इसके लिए लिखित सहमति न दू, अभिषेक ने बताया कि इसके लिए प्रकाशक को एक पत्र पहले ही भेज दिया गया है जो उन्हें जल्द ही प्राप्त हो जाएगा।
इस मामले पर दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपने भाई अभिषेक मुखर्जी के सामने आ खड़ी हुई है। शर्मिष्ठा ने अपने भाई को टैग करते हुए लिखा कि "मैं इस पुस्तक के लेखक की बेटी होने के नाते अभिषेक मुखर्जी से अनुरोध करती हूँ कि वह हमारे पिता द्वारा लिखी गयी पुस्तक के प्रकाशन में बाधा न बने, उन्होंने यह पुस्तक अपने बीमारी के वक्त में पूरी की है।
अंतिम मसौदे में मेरे डैड् के हाथ से लिखे नोट्स और टिप्पणियां हैं जिनका सख्ती से पालन किया गया है। उनके द्वारा व्यक्त किए गए विचार उनके खुद के हैं और किसी को भी किसी सस्ते प्रचार के लिए प्रकाशित होने से रोकने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। यह हमारे दिवंगत पिता के लिए का सबसे बड़ा असंतोष होगा।
बेटी शर्मिष्ठा ने प्रकाशक और भाई से अपील की है कि वह उनके पिता की अंतिम कृति को पब्लिश होने दे।
भाई ये दुनिया है जिसमें दुनियादारी भी है, चूंकि प्रणव दा बेहद साफ ह्रदय के थे और उन्होंने अपने अंतिम समय मे भारत के अंदर चल रही राजनैतिक हलचलों को अपनी किताब में।उकेरा है, और इसी उपकरण के बीच कांग्रेस के अंदरूनी मामलों को भी लिखने का प्रयास किया है, चूंकि कांग्रेस को डर है किया अगर यह किताब पब्लिश हुई तो कांग्रेस की परेशानियों में इजाफा हो सकता है, इसी को लेकर बेटे अभिषेक द्वारा सारा तामझाम किया जा रहा है।
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