
अगर राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो पश्चिम बंगाल में राजनीतिक समीकरण अपनी स्थिति से उलट होने जा रहे है। जिस वक्त अन्य पार्टियां ट्विटर पर काम करने में व्यस्त है भाजपा जमीन पर उतर कर बंगाल में दशकों से चल रही सरकार को जड़ से उखाड़ने में व्यस्त है। लोगों ने शंका जाहिर की है कि चुनाव के बाद विपक्षी दल ईवीएम हैक की कहानी को दोहराएंगे। लेकिन असल जादू ईवीएम का नही काम का है जिसके लिए भाजपा सर्द दिनों और रातों में बराबर मेहनत कर रही है।
पश्चिम बंगाल में होने वाले चुनावों के मद्देनजर भाजपा ने बंगाल में अपने सारे हथियार खोल दिये है। खुद भाजपा के दिग्गज नेता और गृहमंत्री अमित शाह ने बंगाल में सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी की जड़ो को खोदना शुरू कर दिया है, आलम यह है कि जिस वक्त अन्य पार्टियां भाजपा के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को लेकर दिल्ली के आसपास के इलाके में अपना पूरा दमखम लगाए हुए है ऐसे वक्त में भाजपा पश्चिम बंगाल में जमीन में रहकर काम कर रही है, भाजपा का शीर्ष नेतृत्व बंगाल में होने वाली हर हलचल पर नजर बनाकर आगे की रणनीति तय कर रहा है।
अगर भाजपा के सूत्रों की माने तो पार्टी बीते दिनों में हुए बिहार चुनाव और तेलंगाना में हुए निकाय चुनावों के फलस्वरूप बेहद उत्साह में है इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि भाजपा का वह कार्यकर्ता बेहद जोश में है जो पश्चिम बंगाल में रहकर लंबे वक्त से भाजपा के लिए काम कर रहा है।
अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के आमजन के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए किसान के घर भोजन किया। हालांकि राजनीतिक गुरु इसे मात्र एक सामान्य भोजन मानने को तैयार नही है। लोगों का अनुमान है कि भाजपा ने एक भोजन से वर्ग विशेष को अपनी तरफ खिंचने की कोशिश की है जिसमें वह कामयाब भी हुई है।
अगर भाजपा की चुनावी रणनीति को गौर से देखा जाए तो भाजपा का चुनाव प्रबंधन बेहद उम्दा किस्म का होता है। भाजपा के इस तथ्य को विरोधी भी नही नकार पाते। अपने बंगाल दौरे पर गृहमंत्री अमित शाह ने बंगाल के महान क्रांतिकारी खुदीराम बोस के जन्मस्थान पर जाकर नमन किया और ममता बनर्जी की क्रांतिकारियों को सीमाओं में बांधने वाली नियति पर सवाल खड़े किए। अमित शाह ने कहा श्री बोस जितने बंगाल के थे उतने ही भारत के भी थे। वही पंडित रामप्रसाद बिस्मिल जितने उत्तर प्रदेश के थे उतने ही बंगाल और भारत के, भला क्रांतिकारियों के भी बटवारा हो सकता है क्या ?
गृहमंत्री अमित शाह ने बंगाल को दुनिया भर में अपरिमित पहचान दिलाने वाले युवा संत और समाज के जागरण करता स्वामी विवेकानंद द्वारा स्थापित किये गए रामकृष्ण चंद्र मिशन आश्रम में जाकर पूजा वंदना भी की।
राजनीतिक पंडितों की माने तो यह चुनाव टीएमसी और ममता बनर्जी के लिए एक अग्नि परीक्षा जैसी साबित होने वाली है जिस प्रकार से भाजपा ने बंगाल विजय के लिए अभियान छेड़ा है उससे टीएमसी पूरी तरह तिलमिलाई हुई नजर आती है, बीच चुनाव में भाजपा के कार्यकर्ताओं पर हुए हमले इसकी गवाही देते है। जानकारों का अनुमान है कि अगर समय रहते ममता बनर्जी ने इस मामले पर सकारात्मक कदम नही उठाये तो उन्हें कुर्सी गवानी पड़ सकती है
बंगाल में अमित शाह लगातार रैलियां और ताबड़तोड़ रोड शो कर रहे है
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