
अगर हथियारों की बात करे तो भारत में और खासकर यूपी में हथियारों का भारी क्रेज है। यहाँ यह आलम है कि लोग लाइसेंसी हथियार के लिए हज़ारों से ज्यादा की संख्या में लोग वेटिंग में ही पड़े रहते है। वह भी खासकर छोटे फायर आर्म्स के लिए लेकिन उत्तर प्रदेश में बहुत जल्दी ही एक खुशखबरी आने वाली है दुनियाभर में अपने रिवाल्वर के लिए महशूर कंपनी वेब्ले स्कॉट अब भारत मे अपने हथियार बेचने के लिए तैयार है लेकिन इस बार खास बात यह होगी कि इस हथियार को पूरी तरह उत्तर प्रदेश के हरदोई में बनाया जाएगा।
वैसे उत्तर प्रदेश में हथियारों की चर्चा की जाती है तो लगभग सभी प्रकार के फायर आर्म्स शामिल होते है जिनमे 12 बोर सिंगल बैरल, डबल बैरल, रायफल ( विभिन्न बोर) और रिवाल्वर और पिस्टल शामिल है। लेकिन इन सभी हथियारों में रिवाल्वर और पिस्टल काफी शानो शौकत के प्रतीक और कैरी करने में सही माने जाते है।
बीते लंबे वक्त से भारत मे विदेशी हथियारों की आमद कानूनी तौर पर रोकी गयी है जिसकी वजह से भारत ले लायसेंस धारकों को केवल इंडियन ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के द्वारा बनाये गए हथियारों से संतुष्ट होना पड़ता है। लेकिन अगर गुणवत्ता और तकनीकी की बात करे तो भारत मे इन हथियारों को उतना अच्छा नहीं माना जाता जितना कि विदेशी हथियारों को तरजीह दी जाती है।
जिसका मुख्य कारण है विदेशी हथियारों की कार्यक्षमता और इस कार्यक्षमता को वेब्ले एंड स्कॉट के रिवाल्वर हमेशा पूरा करते है। अब यही विश्वप्रसिद्ध रिवाल्वर निर्माता कंपनी भारतीय उपमहाद्वीप में आकर अपने हथियार खासकर (रिवाल्वर) बनाने जा रही है।
ब्रिटेन की इस मशहूर रिवाल्वर निर्माता कंपनी ने इसके लिए हरदोई जिले के संडीला औद्योगिक क्षेत्र को चुना है जहाँ पर इस रिवाल्वर की मैन्युफैक्चरिंग होगी।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से मात्र 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हरदोई जिले के संडीला कस्बे में स्थापित सियाल मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड के साथ ब्रिटिश कंपनी Webley & Scott ने हथियार निर्माण के लिए करार किया है। जिसके तहत ब्रिटिश कंपनी पूर्ण रूप से स्वदेशी तरीके से हैंड गन (रिवाल्वर) का निर्माण करेगी।
इस करार के तहत ब्रिटिश कंपनी ने भारतीय कंपनी को अपनी तकनीकी साझा की है और इस करार में ब्रिटिश कंपनी का शेयर 49 प्रतिशत है।
वही इस करार में भारतीय मैन्युफैक्चरिंग यूनिट सियाल के शेयर 51 प्रतिशत है। ज्ञात हो कि इस कंपनी द्वारा बनाये गए हथियार अपनी पूर्व गुणवत्ता के साथ रहेंगे और और ब्रिटेन में बने हथियार के बराबर ही होंगे।
दरअसल इस हथियार बनाने वाली कंपनी को सन 2019 में आयुध (हथियार) बनाने का लाइसेंस मिला हुआ था। हालांकि इससे पहले भी वेब्ले का इंडियन ऑर्डिनेंस बोर्ड से करार चल रहा है।
जिसके तहत भारतीय आयुध निर्माणी में तकनीकी हस्तांतरण के तहत रिवाल्वर बनाये जा रहे है।
जिसमें मार्क 4 ( पूरी तरह से वेब्ले की नकल ) प्रमुख है। लेकिन फिर भी अगर हथियार प्रयोग करने वालो की बात सुनी जाए तो वो इसे वेब्ले के ओरिजनल रिवाल्वर के समकक्ष नही पाते।
कई बार फायरिंग राउंड का चेम्बर (छकरी-जिसमे कारतूस लोड होते है) में चिपकना जैसी स्थितियां उत्पन्न हो जाती है। लेकिन वेब्ले के रिवाल्वर ने प्रयुक्त एलाय की वजह से ऐसा नहीं होता।
अगर कीमत की बात की जाए तो भारतीय आयुध निर्माणी द्वारा बनाये गए हथियार की कीमत 65 से 80 हजार के आसपास बैठती है।
वही ओरिजनल वेब्ले रिवाल्वर 1 लाख 60 हजार से ऊपर बैठने की उम्मीद है। इस बारे में कंपनी ने जानकारी दी है कि उसकी लागत ही करीब एक लाख साठ हजार पहुँच रही है।
अगर कंपनी की माने तो वह अपने शुरुआती चरण में .32 बोर के मार्क 4 और 6 रिवाल्वर का निर्माण करेगी। इसके साथ ही कंपनी की लायसेंस योजना शॉटगन, एयर गन और बारूद और पिस्टल बनाने की योजना है।
कुल मिलाकर भारत के लोगों का विदेशी हथियार रखने का शौक पूरी होने जा रहा है।
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