
देश मे डोनेशन लेने और देने की बयार चल रही है इस दौरान कुछ लोग गलत तरीके से पैसे उगाहने में भी जुटे हुए है। कुछ ऐसा ही आरोप लगा है भारत मे निजी क्षेत्र के बड़े और अधिकतर मामलों में केंद्र सरकार की नीतियों के मुख्य आलोचक चैनल एनडीटीवी पर आरोपों के अनुसार एनडीटीवी ने यूनिसेफ और बच्चों की आड़ लेकर एक एनजीओ के लिए फंडिंग की है।
माजरा सीधे-सीधे तौर पर एनडीटीवी के ऊपर उगाही करने पर लगा है, भारत सरकार में "राष्ट्रीय बाल अधिकार सरंक्षण आयोग" ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) के जॉइंट कमिश्नर को पत्र लिखते हुए शिकायत दर्ज कराई है। आयोग ने जॉइंट कमिश्नर को पत्र लिखते हुए शिकायत की है कि दिल्ली की एक समाचार सेवा प्रदाता कंपनी ने भारत सरकार के साथ काम करने वाले एनजीओ का नाम आगे करके गलत तरीके से फंड जमा किया है। यही नही शिकायती पत्र में यह बात भी कही गयी है कि इस सूचना सेवा प्रदाता सेवा कंपनी (NDTV) द्वारा यूनिसेफ का नाम आगे करके लगातार पैसे उगाहे जा रहे है।
हालाँकि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा में यह शिकायत अनायास ही नही दर्ज कराई है दरअसल इस मामले पर आयोग को लगातार शिकायतें मिल रही थी जिसके आधार पर आयोग ने इस मामले पर जांच करने का अनुरोध किया है, इस मामले में शिकायतकर्ता ने आयोग को जानकारी दी कि हमने जब इस मामले में जोड़े गए एनजीओ "चाइल्ड लाइन इंडिया फाउंडेशन" जो कि सरकार की तरफ से महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की नोडल एजेंसी की तरह कार्य करती है साथ ही 1098 नाम से बच्चों के लिए हेल्पलाइन नियमित करती है उसको इस फंड जुटाने के बारे में कोई जानकारी ही उपलब्ध नही है।
हालांकि इस बखेड़े के बाद से एनडीटीवी की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नही आया है लेकिन इसके बाद से एनडीटीवी में काम करने वाले अन्य कर्मियों जैसे एंकर इत्यादि की तरफ से बयान आने शुरू हो चुके है जिन्होंने इस मामले को बेहद साफ और सीधा बताया है लेकिन सबसे विचित्र बात तो यह है कि जिस यूनिसेफ को एनडीटीवी के द्वारा सहयोगी बताया था उसने ऐसी किसी भी प्रैक्टिस को अवैध बताया है और साथ ही भविष्य में ऐसे संस्थान के साथ काम न करने की बात कही है।
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