
अगर आप कश्मीरी अलगाववादी नेताओं की माने तो यहां सेना अपनी बंदूकें लोड करके हमेशा इस फिराक में रहती है कि उन्हें कोई आतंकी दिखे तो उसे खत्म कर दे, लेकिन बीते दिन के एक वीडियो ने सेना की खिलाफत करने वाले सो काल्ड नेताओ के मुँह पर करारा तमाचा मारा है। भारतीय सेना ने दिखाया कि वह न सिर्फ प्रोफेशनल फोर्स है बल्कि मानव मूल्यों पर भी खरी उतरती है। मामला एक आतंकी जहांगीर के सरेंडर से जुड़ा हुआ है जहां पर सेना ने आतंकी को भरोसा दिलाकर इस दलदल से न सिर्फ बाहर निकाला बल्कि इसके पहले किये गए गुनाहों की सजा में रहम करवाने की बात भी कही।
दरअसल जम्मू कश्मीर के बडगाम जिले में एक आतंकी जहांगीर अहमद भट ने सेना के आग्रह और भरोसे पर खुद को सरेंडर कर दिया, दरअसल कुछ दिनों पहले एक एसपीओ सैन्य बल की एके 47 लेकर फरार हो गया था जिसके द्वारा सैन्य बलों पर फायरिंग भी की गई थी, इस मामले पर सीआरपीएफ और सेना ने संयुक्त अभियान चलाया और पता चला कि इसके साथ एक और व्यक्ति शामिल है जो ग्राउंड वर्कर के तौर पर कार्य करता है और इसका नाम जहांगीर है, जहांगीर पर आरोप थे कि उसने एसपीओ के साथ रहकर सेना की टुकड़ियों पर फायर खोले थे। जहांगीर पहले ही पत्थरबाजी करने में शामिल रह चुका है।
सेना को जानकारी मिली कि जहांगीर उक्त जगह पर छुपा हुआ है जिसपर 53 राष्ट्रीय रायफल के सेकेंड इन कमांड के अधिकारी ने जहांगीर को चेतावनी देते हुए बताया कि "जहांगीर मैं 53 आर आर का 2 आईसी बोल रहा हूँ, आप जो सीजेआई शीट के पीछे बैठे हो, हमने तुम्हें चारो ओर से घेर लिया है, आपसे मेरी दरख़्वास्त है कि आप अपना वेपन फेंक कर हाथ उठाकर वापस आ जाओ, मैं इसकी गारंटी देता हूँ कि आपको कुछ नहीं होगा, आपको आश्वासन देता हूँ कि आपको कुछ नहीं होगा, आप बाहर निकलकर हमारे पास आओ"
यही नहीं सेना के कमांडिंग ऑफिसर ने सरेंडर करने के लिए आत्मीयता से भरे शब्दों जैसे छोटू का भी प्रयोग किया ताकि आतंकी के मन में भरोसा बैठ जाये।
सेना के अधिकारी ने आतंकी को सरेंडर कराते समय उच्च मानव आदर्शों का पालन किया, वीडियो में साफ नजर आ रहा है कि सेना ने सबसे पहले आतंकी को हथियार फेंकने और पैंट पहनकर अपनी तरफ आने को कहा साथ में सैनिकों को हिदायत दी कि एक भी फ़ायर नहीं होना चाहिए और सभी पार्टी को बार बार चुप कराने की बात कही। मामले से घबराए हुए आतंकी को सेना ने पानी भी पिलाया और आतंकी को शाबाशी भी दी, सेना ने कहा कि बुरे रास्ते को छोड़कर सरेंडर करना बेहद हिम्मत का काम है।
हालांकि आतंकी के परिजनों को यह उम्मीद थी कि सेना इसके द्वारा किये गए कारनामे की वजह से इसे हिटलिस्ट पर डाल चुकी है और मौका पड़ने पर गोली भी मार सकती है लेकिन सेना ने इस मामले में बेहद सूझबूझ का परिचय देते हुए न सिर्फ सरेंडर कराया बल्कि उसे उसके परिजनों से भी मिलवाया, जीवित मिलने पर परिजनों ने राष्ट्रीय राइफल्स के अधिकारी के पैर छूकर कहा कि साहब आपकी मेहरबानी, आपने हमे हमारे घर का बच्चा लौटाया है, इस पर सेना अधिकारी ने कहा कि ये हमारी जिम्मेदारी है, बस इस बार से यह गलत रास्ते पर न जाये।
परिजनों ने सेना की हिदायत पर कहा कि अगली बार यह हमारी लाश से गुजरकर ही इस गलत रास्ते पर जाएगा, सेना ने बताया कि हमें किसी की लाश उठाना सही नही लगता, हम अपने उच्चाधिकारियों से इसकी माफी की दरख़्वास्त करेंगे।
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