
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को विपक्षियों से पूछा कि क्या पाकिस्तान से आने वाले मुस्लिमों को भी नागरिकता प्रदान की जानी चाहिए। उन्होंने राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 पर चर्चा के दौरान विपक्षियों से यह सवाल किया।
अमित शाह ने कहा, "आप क्या चाहते हैं? क्या हमें पाकिस्तान से आने वाले मुस्लिमों को नागरिकता देनी चाहिए। ऐसे में देश कैसे चलेगा?"
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, “पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में हिंदू, जैन, पारसी, सिख धर्म को मानने वालों को प्रताड़ित किया गया है। यह विधेयक इन लोगों की गरिमा और जिंदगी की रक्षा करेगा।”
राजग सरकार ने मुस्लिमों को इस विधेयक से बाहर रखने के पीछे का कारण बताते हुए स्पष्ट किया है कि मुस्लिम इन तीन देशों में बहुसंख्यक हैं। सरकार का कहना है कि इन देशों में मुस्लिमों का धार्मिक आधार पर उत्पीड़न नहीं हो सकता, क्योंकि इन देशों में ये बहुसंख्यक हैं।
सीएबी लोकसभा में पारित हो चुका है और राज्यसभा में बुधवार को इस विधेयक पर चर्चा हो रही है।
भाजपा के राज्यसभा सांसद के.जी. अल्फोंस ने कहा कि इतिहास में जो गलत था, उसे सरकार सही कर रही है। उन्होंने कहा कि विवादास्पद नागरिकता संशोधन विधेयक पड़ोसी देशों में सताए गए अल्पसंख्यकों को जीने का अधिकार देता है। विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए अल्फोंस ने कहा कि भारत दबे-कुचलों का घर रहा है और यही कारण है कि सरकार यह विधेयक लाई है।
भाजपा सांसद ने कहा, "भारत वह स्थान है जहां ईसा मसीह को क्रूस पर चढ़ाए जाने के बाद, उनके शिष्यों में से एक केरल आए और सीरियन चर्च बसाया। किसने उन्हें भारत में फलने-फूलने दिया? यह हिंदू थे। आज सीरियाई ईसाई सबसे समृद्ध समुदाय हैं, क्योंकि भारत ने उन्हें यहां फलने-फूलने दिया।"
उन्होंने कहा कि जब धार्मिक अल्पसंख्यकों को सताया जाता है तो दुनिया की जिम्मेदारी है कि उन्हें शरण दे।
अल्फोंस ने कहा, "यह विधेयक वही करता है।"
नागरिकता संशोधन विधेयक 2019, हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समदाय के सदस्यों को भारतीय नागरिकता प्रदान करता है, जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न के बाद भारत आए हैं। विधेयक के पारित हो जाने के बाद उन्हें अवैध अप्रवासी नहीं माना जाएगा और उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने बुधवार को नागरिकता(संशोधन) विधेयक पर राज्यसभा में चर्चा के दौरान कहा कि उनकी पार्टी इस विधेयक का विरोध करती है। साथ ही उन्होंने कहा कि यह विधेयक द्विराष्ट्र सिद्धांत को कानूनी रंग प्रदान करता है। सिब्बल ने कहा कि वह विधेयक का विरोध करते हैं, क्योंकि धर्म नागरिकता प्राप्त करने का आधार नहीं हो सकता।
सिब्बल ने कहा कि वह लोकसभा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बयान से परेशान थे।
उन्होंने कहा, "मैं उस दिन बहुत परेशान हो गया था, जब गृहमंत्री ने दूसरे सदन में बताया कि क्यों हमें इस विधेयक की जरूरत है। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस ने धर्म के आधार पर विभाजन किया।"
सिब्बल ने कहा कि उन्हें यह समझ में नहीं आता कि अमित शाह ने कौन-सी इतिहास की किताब पढ़ी है। द्विराष्ट्र का सिद्धांत कांग्रेस का सिद्धांत नहीं है।
उन्होंने कहा कि द्विराष्ट्र का सिद्धांत सावरकर द्वारा दिया गया था।
इसके अलावा कांग्रेस सदस्य ने बी.आर. आंबेडकर के बयान का भी संदर्भ दिया।
सिब्बल ने उसके बाद शाह से आरोपों को वापस लेने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, "हम, कांग्रेस में एक राष्ट्र पर विश्वास करते हैं। उन्होंने फिर शाह पर निशाना साधते हुए कहा, 'आप इसपर विश्वास नहीं करते हैं।"'
सिब्बल ने कहा कि विधेयक ऐतिहासिक है, क्योंकि सरकार संविधान के बुनियाद को बदल रही है।
उन्होंने शाह से राजनीति से ऊपर उठने का आग्रह करते हुए कहा, "आप हमारे इतिहास को बदलने का प्रयास कर रहे हैं। आप कहते हैं कि करोड़ों लोग कल सुबह उम्मीद की किरण को देखेंगे। मैं दावा करता हूं कि यह रात लाखों लोगों के लिए समाप्त नहीं होगी। यह अंधेरी रात कभी समाप्त नहीं होगी।"
उन्होंने कहा, "एक भी मुस्लिम सरकार से नहीं डरता है। आईडिया ऑफ इंडिया को समाप्त किया जा रहा है।"
उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने बुधवार को कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक अल्पसंख्यकों के पक्ष में जरूर है, पर भारत के मुसलमानों के खिलाफ बिल्कुल भी नहीं है। वसीम रिजवी ने बुधवार को यहां जारी एक बयान में कहा, "यह विधेयक आतंकवाद पर करारा प्रहार करने वाला है। यह विधेयक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के पक्ष में जरूर है, पर भारत के मुसलमानों के खिलाफ बिल्कुल भी नहीं है।
रिजवी ने कहा कि हिंदू अल्पसंख्यकों की मदद भारत नहीं करेगा तो कौन करेगा। अगर पड़ोसी मुल्कों में हिंदुओं पर अत्याचार होता है, तो भारत को उनकी बढ़-चढ़कर मदद करनी चाहिए।
रिजवी ने हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस पार्टी को निशाने पर लेते हुए कहा कि ओवैसी कट्टरवादी विचारधारा से संबंध रखते हैं, इसलिए कभी विधेयक फाड़ते हैं तो कभी राम मंदिर का नक्शा फाड़ने वालों का समर्थन करते हैं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी न हिंदुस्तान में आतंकवाद को जन्म दिया है। अब जब आतंकवाद को रोकने की कोशिश की जा रही है, तो इसका विरोध किया जाना गलत है।
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