
मजदूर इन दिनों कोरोना से कहीं ज्यादा राजनीतिक मार से परेशान हैं। कभी एक पार्टी बसों का इंतजाम कराने का दावा करती है तो दूसरे उनके दावे को पलीता लगा देते हैं खैर ये तो राजनीति है लेकिन दो सौ किलोमीटर पैदल चलकर कोई गर्भवती महिला भरतपुर आये और बिना किसी चिकित्सकीय मदद के प्रसव हो जाये तो एक चिंता की बात है। बाकी मजदूरों का दुख सिर्फ मजदूर समझ सकते है।
बांदा निवासी अनिल अपनी पत्नी राजकुमारी के साथ राजस्थान के जयपुर में रहकर मजदूरी कर रहा था, सबकुछ बिल्कुल ठीक-ठाक था तभी कोरोना महामारी का प्रकोप बढ़ गया और हालात ऐसे हो गए कि एक वक्त का खाना मिलना मुश्किल हो गया, चूंकि इस मुसीबत के वक्त में राजकुमारी नौ माह की गर्भवती थी, इसलिए किसी भी हालत में यहाँ से निकलना बेहद जरूरी हो गया था शायद यही कारण था कि अनिल ने अपनी पत्नी के साथ जयपुर से निकलना ठीक समझा।
पहले अनिल को यह उम्मीद थी कि आगरा तक पहुंचने के लिए या तो सरकार कोई इंतजाम कराएगी या फिर कोई ट्रक इत्यादि मिल जाएगा लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ बल्कि कहीं अगर बैठने की कोशिश भी की तो स्थानीय पुकिस ने उन्हें जबरन उतार दिया नतीजन अनिल नौ माह की गर्भवती राजकुमारी के साथ करीब 200 किलोमीटर पैदल चलकर भरतपुर पहुँचा जहाँ पर प्रसव पीड़ा होने पर पत्नी ने शिशु को जन्म दिया और नाम रखा गया "प्रकाश"।
सरकार की रुखाई तो देखे जो कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी दूसरे प्रदेशों में बसों वाली राजनीति में मस्त है उन्हें अपने प्रदेशों में होने वाली मक्कारी नजर नहीं आती। अनिल ने बताया कि हमने इस बारे में स्थानीय पुलिस को अवगत कराया लेकिन उन्होंने किसी भी मदद में असमर्थता जताई। मजबूरन अनिल ने दूसरे रास्ते खोजे इसके बाद एक ट्रक ड्राइवर के द्वारा जच्चा-बच्चा देखे जाने पर आगरा तक पहुंचाने की बात कही। इसके बाद अनिल अपनी पत्नी राजकुमारी और नवजात के संग आगरा अंतरराज्यीय बस अड्डे पहुँचा जहां पर 24 घंटे के इंतजार करने के बाद झांसी के लिए बस मुहैया हुई। अनिल ने बताया कि इस मुसीबत के वक्त में बांदा के अन्य साथियों और आगरा की जनता ने सहयोग दिया। आगरा की जनता ने उनके खाने-पीने का इंतजाम कराया और नवजात के लिए सूखे और मुलायम कपड़े मुहैया कराए।
अनिल और राजकुमारी ने साफ शब्दों में कहा कि हमने मुसीबत झेली है हमें ये वक्त याद रहेगा, कुछ नहीं भूलेंगे। सनद रहे कि ऐसे वक्त में जब हज़ारों की संख्या में मजदूर राजस्थान से बाहर निकलने की जद्दोजहद में है उस वक्त प्रियंका गांधी बसों को लेकर यूपी बॉर्डर पर राजनीति चमकाने में लगी थी। वहीँ यूपी के बच्चे जो कोटा में फसे हुए थे उनको निकालने में लगे हुए खर्च को लेकर राजस्थान सरकार नोटिस पर नोटिस भेज रहा है।
ये हालात तब हैं जब यूपी सरकार ने कोटा से छात्रों को यूपी लाने के लिए राजस्थान रोडवेज का अच्छा खासा पेमेंट भी किया था। प्रियंका गाँधी मजदूरों के लिए बसें चलाने के लिए यूपी सरकार पर निशाना लगाते नहीं थकती लेकिन कांग्रेस शासित प्रदेश राजस्थान से 9 माह की गर्भवती महिला पैदल चलकर यूपी आती ये प्रियंका गाँधी का नहीं दिखता। इस घटना से साफ पता चलता है कि कांग्रेस ने आपदा के वक्त भी अपनी राजनीती कि रोटियां सेंकनी बंद नहीं की।
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