
सरकार ने कोरोना प्रसार के मद्देजनर किसी भी प्रकार के बड़े जलसे या जुलूस और प्रदर्शन पर रोक लगाई है। कश्मीर में सरकार ने इस बारे में पहले भी कई बार चेतावनी जारी की थी लेकिन फिर भी शिया समुदाय द्वारा इस तरह का जुलूस निकाला गया। नतीजन स्थानीय पुलिस बल को कार्यवाही करनी पड़ी जिससे कुछ युवा जख्मी हुए हैं।
दरअसल वर्तमान समय मे मोहर्रम का त्योहार नजदीक है और यह त्योहार हुसैन की याद में मातम मनाकर मनाया जाता है। श्रीनगर में आने वाले बेमिना क्षेत्र में शिया समुदाय के लोगों ने मोहर्रम को लेकर एक मातमी जुलूस सरकारी रोक के बाद भी निकालना शुरू किया। यह जुलूस बेमिना की हमदानिया कालोनी से शुरू होकर खुमैनी चौक की ओर लगातार बढ़ता रहा। इस मामले में स्थानीय पुलिस ने जब जूलूस में शामिल लोगों से जुलूस को खत्म कर घर वापस लौट जाने की अपील की तो लोगों ने पुलिस का ही विरोध करके उनपर पत्थरबाजी और नारेबाजी शुरू कर दी। नतीजन पुलिस को लोगों की भीड़ को तितर बितर करने के लिए बल प्रयोग करना पड़ा।
भीड़ के विरोध के बाद स्थानीय पुलिस ने भीड़ को तितर बितर करने के इरादे से भीड़ पर पैलेट गन और रबर बुलेट जैसे नॉन लीथल हथियारों का प्रयोग किया जिसकी वजह से लोगों को घायल भी होना पड़ा है। एक स्वतंत्र रिपोर्ट के अनुसार इस पुलिस कार्यवाही में करीब 30 लोग पैलेट गन और रबर बुलेट से घायल हुए है और एक घायल की स्थिति बेहद नाजुक बनी हुई है। ताजा जानकारी के अनुसार घायलों को सरकार द्वारा एक अस्पताल में रखकर इलाज कराया जा रहा है। संभावित दंगा प्रभावित इलाकों में पुलिस द्वारा धारा 144 लगाई गई है ताकि लोग इकट्ठे न हो सकें।
अब इसे सरकार के नियमों की अवहेलना करना कहे या कुछ और पूरे देश मे कोरोना के कहर के चलते किसी भी प्रकार के आयोजन पर रोक लगाई गई है ताकि लोगों मे किसी भी तरह से संक्रमण न फैल सके। सरकारी गाइडलाइंस के बावजूद कुछ लोगों ने इसे धार्मिक रूप देते हुए सरकारी आदेश को धता बताकर जुलूस निकालना शुरू कर दिया।
हालांकि इस कार्यवाही में कई लोग न सिर्फ जख्मी हुए है बल्कि कई लोग आंशिक विकलांगता को भी प्राप्त होंगे।
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