
मोदी है तो मुमकिन है, ये नारा आपने चुनाव के दौरान काफी सुना होगा लेकिन कल संसद में जो फैसला हुआ उसके बाद से यह नारा हकीकत में बदलते हुए भी नजर आया। जी हां कल का दिन देश भर के लोगों के लिए ऐतिहासिक दिन साबित हुआ, कल राज्यसभा में भी ट्रिपल तलाक बिल (Triple Talaq Bill) पारित हो गया और ऐसा कर संसद ने इतिहास रच दिया। यह एक ऐसे श्राप के समान था जिसका विरोध मुस्लिम महिलाओं द्वारा कई वर्षों से किया जा रहा था।
इस बार मोदी सरकार (Prime Minister Narendra Modi) ने भी कसम खा रखी थी कि वो इस कुप्रथा से मुस्लिम महिलाओं को आजादी दिलाकर रहेंगे और कल के फैसले के बाद इसकी खुशी महिलाओं के चेहरे पर देखने को मिली। देश के कोने कोने से मुस्लिम महिलाओं ने इस फैसले पर पीएम मोदी के प्रति आभार प्रकट किया। हालांकि ट्रिपल तलाक के अलावा हलाला भी ऐसी कुप्रथा है जो मुस्लिम समुदाय आज भी निभाते आ रहे हैं।
ट्रिपल तलाक (Triple Talaq Bill) पर कानून बनाने का प्रयास 2 साल पहले से ही किया जा रहा था। जी हां सुप्रीम कोर्ट ने 2 साल पहले यानि की साल 2017 में इस कुप्रथा को गैर कानूनी बताया था और सरकार को इसपर कानून बनाने का भी आदेश दिया पर अफसोस की सरकार ने कानून तो बनाया लेकिन 2 साल से यह संसद में अटका हुआ था लोकसभा से यह बिल पास हो जाता था लेकिन हमेशा ही राज्यसभा में लटक जाता था।
अब इस बिल को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा और उनकी स्वीकृति के बाद यह कानून बन जाएगा। इस ऐतिहासिक फैसले के आने से कल के दिन से हमारा देश ट्रिपल तलाक से मुक्त हो गया। मुस्लिम महिलाएं जिस कुप्रथा को 1400 साल से झेलते आ रही थीं वो अब जाकर खत्म हुआ, 15 अगस्त से 16 दिन पहले मोदी सरकार ने देश की 10 करोड़ मुस्लिम महिलाओं को मुक्ति दिवस के रूप में यह उपहार दिया है।
अब यह समझना सबसे जरूरी होगा कि आखिर इस कानून के बनने के बाद क्या क्या बदलाव होने वाला है? यानि कि कानून लागू होने से पहले क्या होता था और अब क्या होगा?
* इस बिल के पास होने से पहले तलाक-ए-बिद्दत यानि (एकाएक तलाक-तलाक-तलाक) कहकर तलाक को गैर कानूनी नहीं माना जाता था पर अब इसे गैर कानूनी माना जाएगा।
* पहले ट्रिपल तलाक देने वाले पुरूषों पर किसी भी तरह के कानूनी कार्रवाई का प्रावधान नहीं था लेकिन अब जो भी पुरूष ट्रिपल तलाक देता है तो पुलिस शिकायत मिलने के तुरंत बाद बिना वारंट के भी उसे गिरफ्तार कर सकती है।
* पहले ट्रिपल तलाक देने पर किसी भी तरह की सजा का प्रावधान नहीं था लेकिन अब ऐसे पुरूषों को 3 साल की सजा के साथ जुर्माना भी देना होगा।
* पहले इसपर किसी भी तरह की सजा न होने के कारण हमेशा पुरूष अपनी मनमानी करता रहा है क्योंकि वो आजाद था पर अब महिला का पक्ष सुनने के बाद ही उस पुरूष को जमानत मिल सकता है।
हालांकि यह ट्रिपल तलाक बिल (Triple Talaq Bill) संसद के दोनों सदन में पास हो गया है लेकिन अभी भी कुछ नेता ऐसे हैं जो इसका विरोध कर रहे हैं। ममता से लेकर अखिलेश यादव तक, मायावती से लेकर कांग्रेस पार्टी तक हर कोई मुस्लिम महिलाओं के इस हक के खिलाफ थें और अब इनमें से कुछ नेता तो मुस्लिम पुरूषों को अपने बयानों से भड़काने की भी कोशिश कर रहे हैं। जिसमें गुलाम नवी आजाद का कहना है कि इस कानून का उद्देश्य मुस्लिम परिवार की तबाही है। जरा सोचिए ये हमारे देश के नेता है जिनकी सोच कितनी घटिया है ये अब साफ साफ दिख रहा है कि ये महिलाओं का कितना सम्मान करते होंगे।
⚡️ उदय बुलेटिन को गूगल न्यूज़, फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें। आपको यह न्यूज़ कैसी लगी कमेंट बॉक्स में अपनी राय दें।