
मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य में कानून और स्थिति में मद्देनजर स्थानीय प्रशासन की सहायता हेतु यह कदम उठाया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी भारत के राजपत्र में उल्लेख किया गया है कि "केंद्रीय सरकार का यह मत है कि सम्पूर्ण नागालैंड राज्य की सीमा के भीतर आने वाला क्षेत्र ऐसी अशांत और खतरनाक स्थिति में है जिससे वहां नागरिक प्रशासन की सहायता के लिए सशत्र बलों का प्रयोग करना आवश्यक है।
अतः अब सशत्र बल (विशेष शक्तियां ) 1958 (1958 की संख्या 28 ) की धारा 3 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्रीय सरकार द्वारा उक्त अधिनियम के प्रयोजन के लिए सम्पूर्ण नागालैंड राज्य को 30 दिसंबर 2020 से आगामी 6 माह के लिए अशान्त क्षेत्र घोषित करती है"
भारत में सबसे विवादित कानून, दरअसल जब राज्य सरकार द्वारा भेजी गई रिपोर्ट्स को केंद्र सरकार( ग्रह मंत्रालय) स्क्रूटनी करके यह निर्णय लेता है कि उक्त राज्य अथवा क्षेत्र डिस्टर्ब एरिया है तो उसे इस कानून के तहत डिस्टर्ब क्षेत्र घोषित कर दिया जाता है और उस क्षेत्र में सेना/अर्ध सैनिक बल(हथियारबंद) डिप्लॉय कर दिए जाते है। एक एक्ट की खासियत यह है कि अगर यह एक्ट लग गया तो इसका प्रभाव समय कम से कम 3 माह तो रहता ही है। कहने का तात्पर्य यह है कि अगर आज यह कानून किसी क्षेत्र में लागू किया जाता है और बाद में अगले दिन राज्य सरकार इसे यह करके हटाने की सिफारिश कर दे कि राज्य में सब शांति है फिर भी बलों की उपस्थिति 3 माह अनिवार्य हो जाएगी।
इस एक्ट के तहत विशेष बलों को विशेष शक्तियां प्राप्त होती है जो निम्नवत है......
संदिग्ध व्यक्ति की बिना किसी वारंट के गिरफ़्तारी
बिना किसी वारंट के किसी भी निवास, आवास, स्थान की तलाशी, व्यवधान होने पर बल का प्रयोग भी किया जा सकता है
बार-बार कानून तोड़ने, अशांति फैलाने पर किसी भी व्यक्ति की मौत होने तक बल प्रयोग जारी रह सकता है
विद्रोहियों/उपद्रवियों के छुपे हुए होने की आशंका (हथियार बंद विद्रोही)पर आश्रय/निवास स्थान तक को ढहाया/नेस्तोनाबूद किया जा सकता है
राह चलते वाहन पर शंका/ आशंका होने पर रोककर तलाशी ली जा सकती है, विरोध करने पर कार्यवाही हो सकती है
बलों पर किसी प्रकार की कार्यवाही नही होती
इस एक्ट के मामले में देश के अंदर और बाहर मिश्रित राय है एक पक्ष इसे अशांत क्षेत्र में शांति कायम करने का प्रयास बताता है जबकि दूसरा पक्ष इसे अंग्रेजी शासन के वक्त कायम किये गए रोलेक्ट एक्ट के बराबर रखता है, इसे दमनकारी बताया जाता है।
⚡️ उदय बुलेटिन को गूगल न्यूज़, फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें। आपको यह न्यूज़ कैसी लगी कमेंट बॉक्स में अपनी राय दें।