
देखिए अगर आप हिंदी फिल्मों के शौकीन है तो आप ने रितिक रोशन अभिनीत फिल्म krrish 2 जरूर देखी होगी जिसमें ऋतिक रोशन मुंबई को बचाने के लिए वैक्सीन को पाइप लाइन हवा में छोड़ देता है और सब कुछ सामान्य हो जाता है। तो आपको एक बात सीधे शब्दों में समझा दे कि यह सब काल्पनिक है इसका असल दुनिया से कोई लेना देना नही है। ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता है। असल स्थिति बहुत भयावह नजर आती है।
वैक्सीन बनना अब कोई ज्यादा बड़ी बात नही है क्योंकि अगर आंकड़ों को देखा जाए तो साल के अंत मे या नए साल की शुरुआत में दुनिया के कई देशों के पास प्रमाणिक वैक्सीन होगी जो कोरोना के लिए कारगर हो सकती है लेकिन क्या यह वैक्सीन सभी लोगों के लिए तुरंत मुहैया हो जाएगी?
दोनो अलग-अलग लेकिन आपस मे बेहद मजबूती से जुड़ी हुई चीजें, वैक्सीन के ट्रायल के बाद सबसे बड़ा कदम होगा वैक्सीन के मास उत्पादन का जो कि एक सबसे बड़ा टास्क है। अगर दुनिया भर में फार्मास्युटिकल निर्माताओं पर नजर डाले तो कुछ और ही कहानी नजर आती है, भारत में दुनिया भर में जानी मानी वैक्सीन उत्पादक सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के अदार पूनावाला ने एक समाचार प्रदाता सेवा से बात करते हुए कहा कि दुनिया भर के आंकड़ों के अनुसार सभी लोगों को वैक्सीन मिलने में करीब 2024 तक का वक्त लग सकता है। क्योंकि उत्पादन एक बहुत बड़ा सवाल है। पूनावाला ने इस समस्या के लिए फार्मास्युटिकल को जिम्मेदार बताया। अदार ने कहा कि दुनिया भर में वैक्सीन निर्माताओं ने अपनी क्षमता को बढ़ाने के लिए कोई रोड मैप तैयार ही नहीं किया, सनद रहे कि वर्तमान समय तक मे दुनिया भर में करीब 2 करोड़ से ज्यादा लोग इस महामारी से संक्रमित हो चुके है और करीब 9 लाख से ज्यादा लोग मारे जा चुके है।
अगर वैक्सीन के मामले में भारत की बात की जाए तो यहां की स्थितियां दुनिया भर से अलग है,चूंकि दुनियाभर में भारत का वैक्सीन उत्पादन में बहुत बड़ा नाम है इसलिए वैक्सीन निर्माण के लिए भारत को किसी का मुंह नहीं ताकना पड़ेगा। लेकिन भारत की समस्या इसके बाद उठ खड़ी होती है, पहला है वितरण और दूसरा है भंडारण दरअसल वैक्सीन के भंडारण के लिए मेडिकल कोल्ड स्टोरेज चैन की आवश्यकता होती है जिसमें भारत की स्थिति दुनिया की तुलना में ज्यादा मजबूत नहीं है।वहीँ दूसरी तरफ वितरण को लेकर भी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के अदार पूनावाला ने चिंता जाहिर की है। हालाँकि इससे पहले भारत मे पोलियो, टीबी, बीसीजी और अन्य टिकाकरणों का पर्याप्त अनुभव है लेकिन फिर भी कोविड वैक्सीन इनसे भिन्न है।
अगर सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के अदार पूनावाला की बात माने तो भारत मे वैक्सीन की कोई समस्या नजर नहीं आती। दुनियाभर से भारत मे वैक्सीन निर्माण की बात चल रही है इसका सीधा-सीधा फॉयदा भारत को मिलने वाला है जैसे कि सीरम इंस्टीट्यूट ने दुनिया भर की वैक्सीन खोजने वाली संस्थाओं में से 5 करार किये है जिसके तहत बनाई गई वैक्सीन में से आधी डोज भारत के लिए उपलब्ध रहेगी। लेकिन असल समस्या फिर वही खड़ी होती है कि इनका टीकाकरण और भंडारण कैसे किया जाएगा।
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