
बंगाल सदियों से विद्रोह का केंद्र रहा है लेकिन अब यह विद्रोह आम विद्रोह से हटकर साम्प्रदायिकता की ओर बढ़ रहा है। लेकिन वर्तमान पश्चिम बंगाल सरकार की मुखिया ममता बनर्जी इसे किसी भी हालत से धार्मिक दंगे मानने को तैयार ही नहीं है लेकिन अगर मामले को गहराई से देखा जाए तो इसकी मुख्य जड़े धार्मिकता और कट्टर धार्मिकता में जुड़ी हुई हैं।
हिन्दू समुदाय की तरफ से ममता पर यह आरोप लगाया जा रहा है कि ममता केवल और केवल एक समुदाय की तुष्टिकरण की राजनीति कर रही हैं।
(हम वायरल वीडियो की सत्यता की पुष्टि नही करते है)
बैसे तो बंगाल दंगे और साम्प्रदायिक तनाव के लिए भारत भर में जाना जाता है लेकिन कोरोना महामारी के बीच ये लगा कि बंगाल शांत है लेकिन इसके उलट बंगाल में साम्प्रदायिक तनाव किसी भूसे के ढेर में लगी हुई आग की तरह सुलग रहा था।जिसका न तो कोई धुँआ नजर आया और न ही आग की कोई लपट हा इसके बाद इसकी तपन के परिणाम आने शुरू हो गए है। मंदिर समेत अन्य जगहों पर आग लगाने और दूसरे समुदायों के घरों को आग लगाने की खबरे चारो तरफ फैल रही है। हालांकि इतने बड़े मामले के बाद भी ममता बनर्जी के द्वारा इस मामले को वैसा बताया ही नहीं जा रहा जैसे इसे बताना चाहिए।
(वीडियो की पुष्टि नहीं की जाती)
पश्चिम बंगाल का एक जिला है हुगली जहाँ के तेलनीपाड़ा जहा दो समुदायों के बीच कोरोना महामारी को लेकर उन्माद फैल गया। दरअसल समुदाय विशेष के लोगो मे संक्रमण पाए जाने के बाद पुलिस और प्रशासन ने उन्हें क्वारनटाइन करने के उद्देश्य से ले जाने के की कोशिश की लेकिन खास समुदाय के लोगों द्वारा पुलिस और मेडिकल स्टाफ का विरोध किया गया और यह विरोध यहीं तक सीमित नहीं था बल्कि उन्हें बलपूर्वक रोका गया। यही नहीं जब स्थानीय प्रशासन ने पूरे इलाके को सील किया तब भी लोग बाहर निकलने से बाज नहीं आये। नतीजन पुलिस ने संदिग्धों को आइसोलेशन में ले जाने की कोशिश की, इसी क्रम में समुदाय विशेष के लोगों द्वारा इस घटना के लिए दूसरे समुदाय (हिन्दुओं) को दोषी माना और इस घटना के बाद क्रूड बम (पेट्रोल बम के समान) फेंकने के बाद यह हिंसा बढ़ती चली गयी।
इस हिंसा में सबसे ज्यादा नुकसान गरीब गुरबों को हुआ जहाँ इस धार्मिक उन्माद की हिंसा के दौरान उनके आशियानों को पेट्रोल बमों से जलाया गया और साथ ही एकांत में बैठे भगवानो के मंदिरों को निशाना बनाया गया। लोगों का आरोप है कि स्थानीय पुलिस ममता सरकार के दबाव में समुदाय विशेष के लोगों का न सिर्फ बचाव कर रही है बल्कि वारदात करते समय पकड़े जाने पर उनके साथ रिश्तेदारों जैसा व्यवहार किया जा रहा है बल्कि दूसरे पक्ष को बिना कुछ किये हुए दंगो में शामिल होने का आरोप लगाया जा रहा है आगजनी और हिंसा में दर्जन भर दुकानों और मकानों को धार्मिक आधार पर जलाया गया है वहीँ सड़क किनारे खड़ी गाड़ियों और टैक्सियों को भी आग के हवाले किया गया है।
इस मामले में स्थानीय पुलिस ने करीब 37 लोगों को हिंसा में लिप्त होने के आधार पर पर गिरफ्तार किया गया है और क्षेत्र में धारा 144 लागू कर दी गयी है। मामले की गंभीरता को देखते हुए इलाके में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। इसके बाद साथ ही समूचे क्षेत्र में रैपिड एक्शन फोर्स ने पीस मार्च किया लेकिन देखने वाली बात यह है कि एक ओर जहां बंगाल जल रहा है वहीँ ममता दीदी अपनी पार्टी के स्थापना को लेकर प्रसन्न नजर आ रही हैं। ममता ने ट्वीट कर इसके बारे क्या कहा देखिये:
"आज 13 मई का ऐतिहासिक दिन है। इस दिन 2011 में बंगाल के लोगों ने बदलाव के पक्ष में शासन किया 34 साल के लंबे शासन को समाप्त किया। पिछले नौ वर्षों से हम माँ, मिट्टी, बंगाल के लोगों के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं, और हम राज्य की प्रगति के लिए पूरी कोशिश करते रहेंगे - यह हमारी प्रतिज्ञा है।"
वहीँ तृणमूल कांग्रेस के अलावा अन्य पार्टिया भी अपनी सुविधानुसार मामले को तोड़ मरोड़ कर उपयोग कर रही है।
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