
देश मे इस वक्त सबसे बड़ी समस्या पलायन और भुखमरी की है, जहाँ एक ओर दिल्ली, महाराष्ट्र और गुजरात से लोग लौट तो आये है, लेकिन असल समस्या भूखे पेट को भरने को लेकर है। इसीलिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस बारे में आदेश जारी किए है
उत्तर प्रदेश में लाखों की तादाद में प्रवासी मजदूर किसी प्रकार से अपने घरों के लिए या तो निकल पड़े है या फिर घरों तक पहुँच चुके है ऐसे मौके में सबसे बड़ी समस्या भूख को शांत करने की है जहां पर उत्तर प्रदेश सरकार ने श्रमिकों और आम लोगों के लिए सरकारी नियमों में ढील देकर उन्हें सरल बना दिया है और इस बाबत आदेश जारी किए गए है कि किसी भी प्रकार से आम आदमी को लॉकडाउन की वजह से भूखे न सोना पड़े।
इस लिए अब सरकारी सस्ते गल्ले ( राशन ) के लिए जद्दोजहद नहीं करने पड़ेगी। योगी आदित्यनाथ ने स्थानीय लेवल पर लेखपाल, प्रधान, सचिव और कोटेदार को आदेश जारी कर दिए है जिसमे जरूरतमंद व्यक्ति को राशन के लिए वापस नहीं किया जाएगा भले ही उसके पास राशनकार्ड भी उपलब्ध न हो।
योगी आदित्यनाथ ने इस बात पर जोर दिया है कि किसी भी हालत में किसी व्यक्ति की भूख को लेकर शिकायत नहीं आनी चाहिए और अगर ऐसी कोई शिकायत आती है जिसमे जरूरतमंद लोगों को आवश्यक वस्तु ( सूखा राशन, शहरी क्षेत्रों में जहां भोजन बनाना संभव नहीं है वहां पका पकाया जो कम्यूनिटी किचिन द्वारा बनाया जाएगा) नहीं मिला तो जिम्मेदार अधिकारियों की गर्दन नापी जाएगी।
दरअसल श्रमिकों का एक बड़ा वर्ग देश के विभिन्न हिस्सों में जाकर मजदूरी इत्यादि करके जीवन यापन करता है, लेकिन कोरोना के चलते लोग अपने-अपने घरों को लौट रहे है शायद यही कारण है लोगों के घरों में अनुमानित राशन ( गेंहू, चावल) इत्यादि का स्टॉक कम होता नजर आ रहा है। इसीलिए प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा इस घोषणा को जारी किया गया है। वहीँ श्रमिकों के जीवन यापन के लिए मनरेगा इत्यादि के तहत जॉब कार्ड के आधार पर तेजी से काम शुरू किया गया है जिसके चलते मजदूरों में असंतोष व्याप्त न होने पाए।
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