“बिजली सिर्फ आसमान से नही गिरती, कभी कभी शार्ट सर्किट जैसी घटनाएं पूरे परिवार को स्वाहा कर देती है”
जनाब उत्तर प्रदेश आजकल फ्लो में बह रहा है, अपने लखनवी अंदाज के साथ, जिसमे बिजली विभाग उसी सरकार की नाक के नीचे इस कदर कुलाटियाँ मार रहा है ये देखने लायक है....
मामला उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के देवा रोड स्थित हिम सिटी देवा रोड चिनहट का है, यहाँ अजीत भटनागर और अतुल भटनागर के निवास में बिजली विभाग द्वारा लगाया गया मीटर पिछले कुछ दिनों से रहरहकर चिंगारियां इधर-उधर फेंक रहा था, मामला जानलेवा था इस लिए गृहस्वामी ने बिजली विभाग के चक्कर लगाने शुरू किए , और विभाग को कई बार लिखित में शिकायती पत्र और आवेदन किये , लेकिन शिवपुरी देवा रोड चिनहट के बिजली आफिस में इस शिकायत से संबंधित कोई अधिकारी न होने के कारण बिजली उपभोक्ता को ऑनलाइन/हेल्पलाइन के माध्यम से शिकायत दर्ज कराने के लिए कहा गया।
“हालांकि आपको यह स्पष्ट करा दिया जाए कि ये बिजली विभाग के नंबर ठीक वैसे ही निरर्थक है जैसे तम्बाकू और पान मसाला के पैकेट के ऊपर वैधानिक चेतावनी लिखी होती है”
3 अगस्त के दिन विभाग के द्वारा किये गए निर्देशन पर टोल फ्री नंबर पर मीटर डिफेक्ट की शिकायत दर्ज करा दी गयी, और 5 दिन बाद तक भी इस संबंध में न तो विभाग द्वारा कोई फीडबैक लिया गया न ही कोई संबंधित व्यक्ति मीटर के चेकिंग के लिए भेजा गया।
और आज 8 अगस्त के दिन मीटर को लेकर जिस प्रकार की आशंका थी वैसा ही हुआ, मीटर में शार्ट-सर्किट की वजह से आग लग गयी, जिस समय मीटर में आग भड़की उस समय उपभोक्ता के घर पर केवल महिलाएं और बच्चे उपस्थित थे , स्थिति को भांपते हुए हेल्पलाइन पर सम्पर्क करने का असफल प्रयास किया गया, चूंकि ये नंबर 20 बार डायल करने पर एक बार ही लग पाते है, किसी प्रकार स्थानीय लोगों की मदद से आग पर काबू पाया गया।
इस बाबत उपयोगकर्ता ने संबंधित पावर हाउस शिवपुरी चिनहट में पहुचकर एसडीओ मिस्टर पाल के सामने जानकारी दी, तो एसडीओ साहब ने अपनी पावर की हनक दिखाते हुए 3500 रुपये मीटर का मूल्य सुविधा शुल्क के रूप में मांग की, जब उपयोगकर्ता ने यह कहा कि मै इस संबंध में बिजली विभाग को सूचना पहले ही दे चुका हूँ तो मेरे ऊपर इस तरह का कोई भी चार्ज लगाना न सिर्फ गलत है बल्कि गैरकानूनी भी है, इस पर साहब का माथा खिसक गया और एसडीओ साहब के अनुसार वो" इस मीटर के पैसे अपनी जेब से नही देंगे" इस दौरान एसडीओ साहब उपभोक्ता की फरियाद को नकार कर मोबाइल पर गेम खेलने में व्यस्त रहे
जब उपयोगकर्ता ने इस संबंध में मिन्नते की तो एसडीओ साहब अपनी सनक में यह कहते हुए नजर आए की" अब क्या मेरे सिर पर ही खड़े रहोगे"
योगी आदित्यनाथ और जिम्मेदार मंत्री श्रीकांत शर्मा जी जहां अपने प्रदेश और अपने विभाग को लेकर नगाड़ा पीटते हुए अक्सर नजर आते है वहीँ उनकी नाक के नीचे गैरजिम्मेदार अधिकारी के ये क्रियाकलाप निरन्तर जारी हैं
उपयोगकर्ता ने जब मीटर शार्ट सर्किट की शिकायत एसडीओ साहब से की वो उस समय वह ऑफिस में पार्टी को करने में मस्त थे, शायद फरियादी का उस समय आना और अपनी समस्या सुनाना तकलीफ देह हो गया, क्योंकि इससे उनकी पार्टी में खलल पड़ गया।
मामला किसी घर परिवार की जान का है, सारे प्रदेश के दूरदराज के क्षेत्र में इस तरह की घटनाएं तो आम है लेकिन प्रदेश की राजधानी के अंदर अगर कर्मचारी और अधिकारी इन घटनाओं को अंजाम देते है तो कहीं न कहीं प्रदेश के मुखिया और विभाग के मुखिया पर उंगली उठती है, जहां एक ओर सरकार इस तरह के कामचोर कर्मचारियों और अधिकारियों को समय से पहले रिटायर करके बाहर का रास्ता दिखा रही है तो फिर ये जनाब किस पावर के साथ अपनी क्षमता का दुरुपयोग कर रहे है ?
इस प्रकार की घटना यह सोचने पर विवस करती है कि जब समाधान करने वाला व्यक्ति ही समस्या बन जाये तो उपभोक्ता का दरबदर घूमना लाजिमी है,
बिजली विभाग को अपने सुप्रसिद्ध स्लोगन " राष्ट्रहित में बिजली बचाये " की जगह " हिम्मत है तो जान बचाकर दिखाए " लिखकर प्रचारित कराना चाहिए , ताकि उपभोक्ता हर समय विभाग की गलतियों को भुगतने के लिए तैयार रहे।