
जिस कोरोना काल मे सरकार लोगों को खिलाने-पिलाने में लगी हुई है उसी कोरोना काल मे अधिकारी लोगों को जीने के अधिकार के सबसे मुख्य अवयव पानी से वंचित किये हुए हैं। मामला बाँदा जिले के थाना मटौन्ध अंतर्गत ग्राम लोहरा से संबंधित है।
इस वक्त बुंदलेखंड में कोरोना का प्रसार अपने चरम की ओर बढ़ रहा है ऐसे वक्त में अधिकारियों की साठगांठ से नलकूप ऑपरेटर लगातार अपनी मनमानी किये जा रहा है। लोगों की मांग के बावजूद लोगों को पीने के पानी के लिए समस्याओं से दो चार होना पड़ रहा है। इस बाबत जब ग्रामीण लोगों ने उच्चाधिकारियों से शिकायत की तो इस पर नलकूप ऑपरेटर का पारा चढ़ गया और बताया कि अब चाहे कितना भी प्रयास कर लो जब मेरी मर्जी होगी तभी पानी मिलेगा।
अगर ग्रामीणों की माने तो उक्त नलकूप ऑपरेटर की विभागीय अधिकारियों से बड़ी मजबूत पकड़ है शायद यही कारण है कि जब ग्रामीण लोग इस शिकायत को लेकर जल संस्थान पहुँचे तो विभागीय लोगों ने ग्रामीणों को धमकाना शुरू कर दिया और बिना वजह आरसी इत्यादि दिखाई ताकि लोगों को वसूली को लेकर भय दिखाया जा सके। हालांकि जागरूक लोगों ने जब उच्चाधिकारियों तक बात पहुँचाने की बात की तो अधिकारियों का पारा ठंढा हुआ।
ज्ञात हो कि मामले में सरकारी तंत्र का एक नया नमूना नजर आया है कि गांव में जलापूर्ति की पाइप लाइन जगह-जगह से छतिग्रस्त है इसलिए उसमे गांव की बहने वाली नाली का पानी मिक्स हो जाता है। इस कारण से गांव के एक बहुत बड़े हिस्से में सप्लाई का पानी भी नहीं पहुँच पाता है। इसके बावजूद नलकूप ऑपरेटर की मिलीभगत से जनगणना का नाम लेकर विभागीय लोगों ने ग्रामीणों को बरगला कर आधार कार्ड इत्यादि जमा कर लिए और बाद में आरसी काट कर वसूली का फरमान सुना दिया।
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