
आज पुलिस वास्तव में अच्छा काम कर रही है लेकिन कुछ वाकये इन अच्छे कामों पर पानी फेर देते हैं। कुछ ऐसा ही हुआ है मध्यप्रदेश के एक थाने के पुलिसकर्मी द्वारा एक मजदूर को गिरने तक मारा गया, मामला छिंदवाड़ा जिले के थाना पिपली क्षेत्र से जुड़ा हुआ है।
वीडियो देखने से पहले आप खुद निर्णय करे कि आप किस हद तक दरिंदगी देख सकते हैं। क्योंकि आपकी आंखों के सामने वह होने वाला है जो आपने सोचा भी नही है। एक मजदूर जो खाकी की हनक और सनक के सामने गिरता हुआ नजर आया। बात लॉक डाउन में निकलने को लेकर थी लेकिन इस मामले में पुलिस ने भूखे गरीब को अपनी ताकत और लाठी की क्षमता दिखानी चाही यही कारण था कि पिटने वाला व्यक्ति लाठी से अपना बचाव भी नहीं कर सका।
विवाद लॉकडाउन में बाहर निकलने को लेकर शुरू हुआ और मध्यप्रदेश पुलिसकर्मी को भूखे और लाचार गरीब की दलीलें पसंद नही आई और फिर क्या था लाठियों का बरसाना शुरू हुआ और उस व्यक्ति को तब तक मारा गया जब तक बेसुध होकर गिर नहीं गया। यही नहीं अगर अन्य पुलिसकर्मियों द्वारा अगर रोका नहीं जाता तो उक्त व्यक्ति को गिरने के बाद भी लाठियां बरसाई जाती।
यहां पर इसके बाद अन्य पुलिसकर्मियों द्वारा असंवेदनशीलता का एक और नमूना देखने को मिला, घायल व्यक्ति की मदद करने की जगह पुलिसकर्मियों द्वारा अचेत पड़े हुए व्यक्ति को मरे हुए जानवर की तरह डंडे की ताकत दिखाते हुए पुलिस गाड़ी में फेंक दिया गया।
मामले का वीडियो सोशल मीडिया में आ जाने के बाद से जिला पुलिस अधिकारियों के मुँह से कोई शब्द नहीं फूट रहा है। इस संबंध में जब जिला पुलिस अधीक्षक से जानकारी लेने के लिए उदय बुलेटिन द्वारा फोन किया गया तो कई बार फोन मिलाने पर भी कोई जवाब नहीं मिला। आखिर में बड़ी मुश्किल से एसपी ऑफिस में फोन अटेंडेंट के द्वारा यह जानकारी दी गयी कि आप लोधी खेड़ा थाना इंचार्ज से बात कर सकते है।
हमारे द्वारा जब लोधी खेड़ा थाना इंचार्ज भदौरिया जी से बात की गई तो उन्होंने जानकारी दी कि पिटने वाला व्यक्ति शराबी है और नशे की हालत में कई बार लोगों को परेशान कर चुका है। आवेश में आकर हेडकांस्टेबल ने उक्त व्यक्ति पर लाठी चार्ज किया। मामला करीब 8 दिन पहले का है। वीडियो वायरल होने के बाद वीडियो में दिख रहे दोनो पुलिस कर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया गया है। थाना इंचार्ज ने खुद कुबूल किया कि जो हुआ है वह बेहद गलत था, यह अमानवीय है।
हालांकि इस मामले पर स्थानीय लोगों और पुलिस दोनों की बातों में विरोधाभास नजर आ रहा है। पुलिस जहाँ पीड़ित व्यक्ति को शराबी बता रही है वहीँ
स्थानीय लोगों के अनुसार व्यक्ति का मानसिक स्थित ठीक नहीं है।
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