
इन दिनों एशिया में दो पडोसी देश अजरबैजान और आर्मेनिया की बीच जंग की शुरुआत हो चुकी है। (Border dispute between Azerbaijan and Armenia) ताजा हालातों की बात की जाए तो यहाँ भारत के स्वाती वेपन लोकेटिंग रडार (Swathi Weapon Locating Radar) जैसे हथियार ने आर्मेनिया की सैन्य शक्ति मजबूत कर दी है। बीते दिनों ही भारत ने आर्मेनिया को दो स्वाति वेपन लोकेटिंग रडार प्रणाली मुहैया कराई थी। सैन्य सूत्रों से मिल रही सूचनाओं के मुताबिक आर्मेनिया ने स्वाति की मदद से अजरबैजान की तरफ से आते हुए हेलीकॉप्टर और ड्रोन को ट्रेस कर लिया।
दरअसल आर्मेनिया और अजरबैजान का जमीनी विवाद कुछ हद तक भारत और चीन सीमा विवाद से मिलता जुलता है। रविवार के दिन ही विवादित क्षेत्र नागोर्नो कारबाख के लिए दोनो देशों में विवाद युद्ध के स्तर तक पहुँच गया और दोनो देशों में मार्शल ला भी लागू कर दिया गया। दोनो देशों ने अपने अपने टैंक, हेलीकॉप्टर और सैन्य साजो समान के साथ सैनिक युद्ध भूमि में उतार दिए।
रक्षा मीडिया हवालों में यह जानकारी साझा की जा रही है कि आर्मेनिया ने अजरबैजान के कुछ टैंक, हेलीकॉप्टर और ड्रोन मार गिराए है। इस लड़ाई में तुर्की धार्मिक मामलों की वजह से अजरबैजान की तरफ से खड़ा है वहीँ यह उम्मीद है कि रूस जल्द ही आर्मेनिया के पाले मे खड़ा मिलेगा।
हालाँकि इस बारे में आर्मेनिया और अजरबैजान की तरफ से कोई आधिकारिक बयान तो नहीं आया है लेकिन अजरबैजान के हेलीकॉप्टर, ड्रोन और टैंक मिसाइल हमने में मार गिराए जाने के बाद अंतरराष्ट्रीय रक्षा मामलों पर कड़ी नजर रखने वाले रक्षा जानकारों ने इस बात पर विशेष बल दिया है कि हेलीकॉप्टर, ड्रोन की सही स्थिति भापकर सटीक मिसाइल हमला करना तब तक बेहद मुश्किल है जबतक कोई उच्च रडार प्रणांली उपलब्ध न हो।
ज्ञात हो इससे पहले आर्मेनिया ने भारत के साथ मार्च में 4 स्वाति वेपन लोकेटिंग रडार प्रणाली का सौदा 290 करोड़ में फाइनल किया था। रक्षा सूत्रों की माने तो इनमे से दो रडार प्रणाली आर्मेनिया पहुँच भी चुकी है।
भारतीय रक्षा अनुसंधान और भारत इलेक्ट्रिक लिमिटेड के संयुक्त उपक्रम से निर्माणित स्वाति वेपन लोकेटिंग रडार 50 किलोमीटर के दायरे में आने वाली हर चीज को बेहद तेजी से भांप लेता है जिसके दिए गए सिग्नल से आर्टलरी और मिसाइल प्रणाली की बदौलत मात्र 2 मिनिट में दुश्मन के ख्वाव खत्म किये जा सकते है। इसकी जद में हेलीकॉप्टर, रॉकेट, लांच शेल इत्यादि आते है।
अगर जानकारों की माने तो टर्की इस युद्ध मे न सिर्फ अजरबैजान की तरफ से युद्ध को थोप रहा है बल्कि युद्ध मे अजरबैजान को असलहा बारूद भी मुहैया करा रहा है। दरअसल टर्की क्षेत्र विशेष में ख़लीफापन दिखाकर दबदबा कायम करना चाह रहा हैं। हालांकि इस मुद्दे पर रूस ने भी अपनी नजरे गड़ा दी है और रूस ने दोनो देशों के बीच मध्यस्थता करके युद्ध को टालने और विवाद को हल कराने की बात कही है।
जो भी हो इस जंग से एक बात बेहद साफ नजर आती है कि अगर टर्की इस युद्ध मे अपनी उपस्थिति ज्यादा मजबूती से रखता है तो जाहिर तौर पर अगले कुछ समय मे अन्य देश भी आर्मेनिया की तरफ से मौजूद होंगे।
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