
बलात्कार दुनिया भर में होने वाला वह अपराध है जिससे पीड़िता की केवल अस्मिता ही तार तार नहीं की जाती बल्कि जिस्म के अलावा मस्तिष्क में ऐसी घुटन भर दी जाती है जो जीवनपर्यंत कचोटती है और इस अपराध के बाद समाज भी पीड़िता के साथ वह व्यवहार नहीं करता जो उसे पहले मिलता था। हालांकि दुनिया भर में इस तरह के अपराध के लिए कई सजाएँ मुकर्रर की गई है लेकिन पाकिस्तान ने चार कदम आगे बढ़कर दोषियों को रासायनिक तरीके से नपुंसक बनाने का प्रस्ताव पारित किया है। जल्द ही यह प्रस्ताव संसद में पेश किया जाएगा, ताकि इसे कानून की मंजूरी मिल सके।
बीते कुछ दिनों से पाकिस्तान में रेप जैसे जघन्य अपराधों की बढ़ोत्तरी के मद्देनजर सरकार ने इस अपराध पर अंकुश लगाते हुए बेहद कड़े कानून को लागू करने का निर्णय लिया है। पाकिस्तान में बने इस नए कानून के तहत जो आरोपी रेप के मामले में दोषी पाया जाएगा। रासायनिक प्रक्रिया द्वारा नपुसंक किया जाएगा। दरअसल इस मामले में पाक प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी इस मसौदे को अंतिम मजूरी प्रदान कर दी, कानून के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति इस तरह के आरोप में अपराधी सिद्ध हो जाता है तो उसे सर्जिकल या केमिकल की मदद से नपुंसक बना दिया जाएगा।
जैसा कि शब्दों से ही जाहिर है कि इन दोनों मामलों में मूल उद्देश्य नपुसंकता को स्थापित करना है, सर्जिकल नपुंसकता के अंतर्गत पुरुष जननेन्द्रिय को अलग कर दिया जाता है वहीँ केमिकल नपुसंकता के अंतर्गत पुरुषत्व वाले हार्मोन्स को समाप्त कर दिया जाता है।
अगर बलात्कारियों के मामले में सजा की तुलना भारत से करें तो भारत बलात्कारों को भी एक महज अपराध की तरह देखता है जबकि चीन, सऊदी अरब, उत्तर कोरिया, इराक, इंडोनेशिया में इस तरह के अपराधों को बेहद तल्ख नजर से देखा जाता है तथा इसकी सजा भी आम अपराधों से बेहद हटकर होती है। चीन में इस सजा का आलम तो यह है कि मेडिकल टेस्ट में रेप की पुष्टि के बाद बेहद कम ट्रायल कराकर सीधे फांसी पर लटका दिया जाता है जबकि कई बार इस मे निर्दोष भी फांसी पर लटका दिए जाते है, इराक समेत सऊदी अरब में सार्वजनिक रूप में पत्थरों को मार मार कर अपराधी को खत्म किया जाता है, उत्तर कोरिया में अपराध की पुष्टि के बाद सरेआम सिर में गोली मारी जाती है, वही इंडोनेशिया में न सिर्फ अपराधी को नपुंसक बनाया जाता है बल्कि अपराधी के शरीर मे महिला हार्मोन डाल दिये जाते है, जिसकी वजह से उसके शरीर और मस्तिष्क पर सैकड़ों बदलाव होते है।
लेकिन अगर इस मामले में भारत की बात करें तो यहां के कानून न सिर्फ लचर नजर आते है बल्कि कई बार रेप के बाद आरोपी को बेहद खुशनुमा जिंदगी से जीने का अवसर भी दिया जाता है। दरअसल निर्भया कांड 2012 के बाद देश भर में इस तरह के स्वर उठने शुरू हुए कि या तो आरोपियों को सरेआम गोली मारी जाए या उन्हें नपुंसक बना दिया जाए लेकिन बाद में मानवता के आधार पर क्रूरता के बिनाह पर इस मामले को ऐसे ही छोड़ दिया गया। यही कारण है कि भारत मे रेप के आरोपी नेता, अधिकारी दोष साबित होने के बावजूद भी मदमस्त होकर घूमते नजर आते है।
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