
हालांकि चीनी सदियों से अपनी कमियां और कमजोरियां न बताने के लिए जाने जाते हैं। लोगों की माने तो चीन में सैनिकों को किसी निजी कंपनी के सेल्सकर्मी से ज्यादा तवज्जो नहीं दी जाती। लेकिन अभी हाल में दबाव की वजह से भारत मे चीनी राजदूत "सुन विडांग" ने स्वीकार किया है कि गलवन घाटी में हुयी शारीरिक झड़प में चीनी सैनिकों की भी जान गई थी ।
चीनी सरकार और कर्मचारियों द्वारा भारत और चीन के सैनिको की झड़प के बारे में हमेशा से गोलमोल जवाब रहा है। चीनी सरकारी अखबारों के द्वारा हमेशा से यह कहा जाता रहा कि झड़प में दोनों तरफ का नुकसान हुआ है लेकिन यह पहला मौका है जब राजदूत स्तर के अधिकारी द्वारा यह बयान दिया गया है कि झड़प में चीनी सैनिकों की भी जान गयी है। हालांकि इस मामले में भारत ने पहले ही देश और दुनिया को यह जानकारी दे दी थी कि इस झड़प में भारत के 20 सैनिक शहादत को प्राप्त हुए है।
चीनी सैनिकों के मरने की संख्या तो अभी भी चीन ने देश और दुनिया के साथ साझा नहीं की है लेकिन देर सबेर ही सही चीनी राजदूत ने यह स्वीकार किया है कि इस झड़प में चीनी सैनिक भी मारे गए हैं। लेकिन यहाँ एक छुपाने वाली बात यह भी है कि चीन के राजदूत ने मरने वालों की संख्या का खुलासा नहीं किया है। इससे पहले चीनी सरकारी अखबार और सत्तासीन पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने भी इस बारे में जानकारी दी थी कि झड़प में जाने चीनी सैनिकों की जाने गयी हैं लेकिन संख्यात्मक आंकड़ा न तो किसी अखबार द्वारा मुहैया कराया गया है ना ही किसी अधिकारी द्वारा।
चीन के दूतावास ने अपनी वेबसाइट पर चीन में भारत में चीन के राजदूत सन वेईडोंग का पीटीआई के साथ हुआ इंटरव्यू पोस्ट किया गया है। जिसमें उन्होंने अपने सैनिकों के मारे जाने कि पुष्टि की है।
दरअसल ये सारा खेल मनोवैज्ञानिकता से जुड़ा हुआ है, रक्षा जानकारों की माने तो चीन अपनी सेना के प्रमोशन में अच्छा खासा इन्वेस्ट करता है। जिसमे सेना और हथियारों की मार्केटिंग, दुनिया भर के मीडिया हाउस के द्वारा चीन की सेना को बढ़ा चढ़ा कर दिखाने की कोशिश की जाती है और अगर यह खबर खुद चीन के द्वारा बताई जाए कि उसके ज्यादा सैनिक मरे है तो यह बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है। चीनी सैनिकों का मोराल डाउन हो सकता है।
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