
अगर किसी की हत्या करना गुनाह की श्रेणी में आता है तो हाल में ही पैदा हुए अबोध बच्चों की गोली मारकर हत्या कर देना शायद उस श्रेणी में होगा जिसे खुदा कभी कुबूल नहीं करेगा। नवप्रसूता माताओं और बच्चों को खतरा मानकर गोली मारकर खुद को बड़ा दिखाने वालों की मुखालफत करने को भी कोई तैयार नहीं है। इस हत्याकांड के खून के छींटे भी पाकिस्तान पर लग रहे हैं।
कैसा मंजर होगा जब दर्द से कराहती हुई माताओं ने अपने दर्द को सहकर अपने जिगर के टुकड़े को संसार मे लाने का काम किया होगा लेकिन तभी धर्मांध और मानवता के दुश्मनों ने माताओं समेत बच्चों को एके 47 की गोलियों से भून दिया। दरअसल अफगानिस्तान के काबुल में स्थित एक मैटरनिटी हॉस्पिटल में आतंकवादी हमला हुआ है जहां पर धर्मांध जेहादियों ने नवजात शिशुओं और उनकी माताओं समेत अस्पताल की नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टरों को भून दिया। इस हमले में दो नवजात समेत 16 माताओं और नर्सिंग स्टाफ की मौके पर मौत हो गयी और भारी संख्या में लोग घायल हुए हैं।
वैसे तो हर इंसान की मौत तकलीफ से बाहर देती है, लेकिन अगर देश मे कोई हलचल है तो कहीं न कहीं उसके बाशिंदों को उसका भुगतान करना पड़ता है। जो बच्चा अभी सही से आंख भी नहीं खोल पाया और मौत के आगोश में समा गया। कुछ बच्चे जो तरीके से रो भी नहीं सकते ए के 47 की गोलियां उनके शरीरो में धसी हुई नजर आती है। वास्तव में ये हमला किसी मेटरनिटी हॉस्पिटल पर नहीं बल्कि पूरी इंसानियत की पैदाइश पर हुआ है जिसका भुगतान सभी को करना पड़ेगा।
कश्मीर पुलिस के सायबर विंग के एसपी ताहिर अशरफ ने इस मामले का मुख्य कारण अति धर्मिता और धर्मांधता बताया है।
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