
19 मई को छठे चरण के चुनाव के बाद दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का पर्व समाप्त हो जाएगा। जनता का फैसला ही अंतिम फैसला होगा। लेकिन अब भी अंतिम चरण की लड़ाई बाकी है, और इसके लिए राजनीतिक दल साम दाम दंड भेद की नीति अपना रहे हैं। तभी तो वाराणसी में आज प्रियंका गांधी अपना रोड शो करने जा रही है। प्रियंका गांधी का काफिला उसी रोड से गुजरेगा जहां से पीएम मोदी का रोड शो गुजरा था।
दरअसल, कांग्रेस वाराणसी के जरिए पूर्वांचल में बची हुई सीटों को साधना चाहती है। पूर्वांचल बीजेपी का वो किला रहा है, जहां हमेशा से ही बीजेपी मजबूत रही है। 2014 में पूर्वांचल की 26 सीटों में अगर एक आजमगढ़ को छोड़ दे। तो बाकी सभी सीटों पर बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने फतेह हासिल की। कांग्रेस को यहां एक भी सीट नहीं मिली थी। इसके बाद 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भी पूर्वांचल की 130 सीटों पर बीजेपी ने 87 सीटों पर जीत का परचम लहराया, जबकि बीजेपी के सहयोगी दलों ने 13 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रही। कांग्रेस के खाते में एक सीट ही आई। इन आंकड़ों से पता चलता है कि पूर्वांचल की राह कांग्रेस के लिए कितनी मुश्किल है। यही कारण है कि कांग्रेस प्रियंका के जरिए यूपी के पूर्वांचल में संगठन को मजबूत करने की कोशिश में लगी हुई है।
दरअसल, प्रियंका का ये रोड शो केवल लोकसभा चुनाव के मद्देनजर नहीं है बल्कि यूपी में आने वाले विधानसभा में भी कांग्रेस संगठन के रुप में मजबूत करना है ताकि यूपी में कांगेस का वर्चस्व मजबूत किया जा सके।
गौरतलब है कि जिन राज्यों में बीजेपी और कांग्रेस की सीधी टक्कर रही है वहां हमेशा से ही कांग्रेस को फायदा रहा है। लेकिन क्षेत्रीय दलों के राज्यों में मजबूत होने से कांग्रेस उस राज्य में समाप्त होती गई है। यूपी इसका सबसे अच्छा उदाहरण है। लेकिन अब प्रियंका गांधी के जिम्मे कांग्रेस यूपी में क्या करनामा दिखाती है ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
खबरों की माने तो प्रियंका गांधी के रोड शो के बाद गुरूवार को मायावती और अखिलेश दोनों की संयुक्त रैली भी होगी। सियासत की इस कसौटी पर हर कोई अपने विरोधियों को मात देने की जुगत में है। वाराणसी सियासत का वो केंद्र बन गया है जहां हर रैली और रोड शो में लगने वाले नारों की गूंज दिल्ली तक सुनाई देती है... और सियासत में जो दिखाता है वही बिकता है। वाराणसी में चाहे जो भी जीते लेकिन राजनीतिक पार्टिया यहां दमखम दिखाकर पूरे देश में सियासी लाभ लेने के चक्कर में है। यही कारण है कि पीएम मोदी एक बार फिर 17 मई को वाराणसी का दौरा कर सकते है।
चुनावी विसात पर हर कोई एक दूसरे को मात देने की कोशिश में है। लेकिन लोकतंत्र में सबका मालिक जनता है।
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