
लोकसभा चुनाव 2019 (Loksabha Election 2019) के सात चरण के मतदान के बाद जितने भी एग्जिट पोल आए उनमें से ज्यादातर में बीजेपी की जीत के संकेत नजर आये हैं। इन एग्जिट पोल के आने के साथ-साथ विपक्षी पार्टियों ने EVM का राग अलापना शुरू कर दिया है। जी हां विपक्षी पार्टियों ने अपनी हार को देखते हुए EVM को लेकर पहले से ही एक माहौल बनाना शुरू कर दिया है। पहले तो ये EVM हैकिंग का आरोप लगाते थें लेकिन जब ये भी काम नहीं आया तो अब ये कई जगहों पर EVM बदलने का आरोप लगाने लगे। इसे आधार बनाकर ये पार्टियां अब पेपर पैलेट के जरिए चुनाव कराने की मांग कर रही हैं।
समझ तो ये नहीं आ रहा है कि आखिर ये पार्टियां इस तरह के आरोप क्यों लगा रही है? क्या इन पार्टियों ने उस दौरान चुनाव नहीं जीता है जब EVM के जरिए चुनाव प्रक्रिया पूरी होती थी ? जबकि EVM के द्वारा किए गए चुनाव में इन पार्टियों की भी सरकार बनी है जो खुद आज इसपर आरोप लगा रहे हैं। यह भी सच है कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में हर किसी को अभिव्यक्ति की आजादी (Freedom of Expression) मिली है जिसके जरिए हर कोई अपनी बात रख सकता है, लेकिन सवाल ये है कि इस तरह के आरोप लगाकर व लोकतंत्र का अपमान करके अपनी अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का प्रयोग किया जाना चाहिए? ऐसा करके ये भारत के लोकतंत्र का अपमान कर रहे हैं।
ऐसे आरोप प्रत्यारोप अगर हमेशा ही चलते रहे तो भारत का चुनाव खतरे में पड़ सकता है क्योंकि इस चुनाव के लिए करीब 70 करोड़ भारतवासीयों ने मतदान किया है, इसके अलावा राजनीतिक पार्टीयों ने अपने चुनाव प्रचार पर कई करोड़ रूपए खर्च किए हैं। कई पोलिंग ऑफिसर व जवानों की तैनाती हुई, जिसकी वजह से ये दुनिया का सबसे महंगा व बड़ा चुनाव बन गया। लेकिन इसके बाद बिना किसी सबूत के इसे धांधली बताया जाए तो समझ लें कि ये पूरे देश की प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठाया जा रहा है।
EVM के बवाल को बढ़ा चढ़ाकर दिखाने के लिए सोशल मीडिया का भी सहारा लिया जा रहा है, जी हां कई ऐसे वीडियो है जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं और उसमें EVM बदलने का दावा किया जा रहा है। यूपी, गाजीपुर, मऊ, चंदौली, झांसी, बिहार के सहारनपुर तमाम जगहों पर इस तरह के घपले की खबर फैलाई जा रही है। इतना ही नहीं इसके विरोध में तो कई जगहों पर आंदोलन व सड़को पर धरना भी दिया जा रहा है।
इन तथ्यों को सही साबित करने के लिए गाड़ी पर लदी EVM की कई तस्वीरें भी पोस्ट कि गई जिसमें साफ साफ ये बताया गया कि यहां EVM बदला जा रहा है लेकिन ये सभी तथ्य एक एक करके गलत साबित हो रहे हैं। वैसे देखा जाए तो EVM पर सवाल उठाना ही गलत है क्योंकि इसे हैक करना नामुमकिन है। चुनाव आयोग (Election Commision) इन EVM को एक ‘स्ट्रॉन्ग रूम’ में रखते हैं जहां हर कोई नहीं पहुंच सकता है। इसके अलावा इससे जुड़े सभी नियम काफी कड़े हैं जिसे भेदना असंभव है।
विश्व में भारत के चुनावी प्रक्रिया की चर्चा हो रही है, इतने बड़े चुनाव को सफल तरीके से पूर्ण कराने की वजह से विदेशों में भारत की काफी तारीफ हो रही है। लेकिन डर इस बात का है कि अगर विपक्षी पार्टियां इस तरह के दकियानुसी इल्जाम लगा रहे हैं, वो अगर दुनियाभर में फैलेगी तो अंतराष्ट्रीय स्तर पर भारत को काफी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि कई ऐसे देश सामने आ जाएंगे जो भारत के लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सवाल उठाने लगेंगे और भारत के प्रधानमंत्री को भी स्वीकार नहीं करेंगे चाहे वो कोई भी शख्स क्यों न हो।
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