
सत्ता में पीएम मोदी (PM Narendra Modi) की सरकार बनने के बाद से कई पल ऐसे आए जब उनके कार्यकाल व उनके काम को लेकर विपक्षी पार्टीयों के अलावा मीडिया ने भी विभिन्न टिप्पणियां की। जिसमें विदेशी मीडिया (Forgien Media) के साथ साथ भारतीय मीडिया (indian Media) का भी नजरिया देखने को मिला। अभी हाल ही में विदेशी मीडिया यानि अमेरीका की मशहूर टाइम्स मैगजीन (Times Magazine) ने अपने कवर पेज पर मोदी को लेकर कुछ ऐसा लिख दिया की इसकी चर्चा हर तरफ होने लगी।
दरअसल, टाइम मैगजीन (Times Magazine) ने अपने कवर पर मोदी की तस्वीर के साथ लिखा कि 'India's Divider In Chief'
टाइम मैगजीन (Times Magazine) में मोदी पर आधारित यह लेख आतिश तासीर ने लिखा है। इन्होने अपने लेख में लिखा है कि इस बात में कोई दो राय नहीं है कि मोदी एक बार फिर चुनाव जीतकर केंद्र में सरकार बनाने वाले है। पर इस बार वो कोई करिश्मा नहीं होगा जो साल 2014 में हुआ था। दरअसल उस दौरान मोदी जनता के लिए एक मसीहा के रूप में उभरकर सामने आए थें जो राजनेता बन गए। लेकिन अब उनकी रणनीति बुरी तरह नाकामयाब हो गई।
वैसे ये पहली बार नहीं है जब टाइम ने मोदी को लेकर ऐसा कुछ लिखा है बल्कि आज से 4 साल पहले भी इसने अपने एक अंक में कवर पेज पर मोदी की तस्वीर के साथ ही लिखा था कि "Why Modi Matters".
वहीं इसके अलावा द गार्जियन (The Guardian) ने भी भारत में मोदी सरकार को हिंदू तालिबान का शासन बताया था। इस तरह से उन्होने मोदी को तालिबानी बताया है।
बात करें अगर भारतीय मीडिया की तो शुरूआत से ही कुछ चंद अखबार व चैनल ऐसे हैं जो मोदी की आलोचना करते नजर आए हैं। वैसे अंग्रेज़ी के सबसे मशहूर व बड़े अखबार जैसे टाइम्स ऑफ इंडिया, हिन्दुस्तान टाइम्स, इंडियन एक्सप्रेस, द हिंदू ये उन अखबारों में से एक है जो विदेशी मीडिया की तरह मोदी को तिलमिला देने वाली आलोचना करते हैं।
द हिंदू (The Hindu) के इस आर्टिकल से आपको काफी कुछ समझ आ गया होगा, इसमें ज्यादा कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है।
इसके अलावा हिंदी अखबारों को देखा जाए तो दैनिक जागरण को छोड़ बाकी अन्य कई सारे अखबार जैसे अमर उजाला, दैनिक हिन्दुस्तान, राजस्थान पत्रिका, प्रभात खबर व दैनिक भास्कर सभी अपनी आलोचक प्रतिक्रियाएं देते हैं। वहीं इन सबके साथ हिंदी व अंग्रेजी के कुछ न्यूज चैनल भी हैं जो निर्लज्जता की हद तक मोदी भक्ति और विपक्ष-विरोध में जुटे हैं
ये आलेख एनडीटीवी NDTV का है जिसे रवीश कुमार ने लिखा है और वो प्रधानमंत्री के इंटरव्यू में कही बातों पर कटाक्ष कर रहे हैं।
मोदी को लेकर शुरू से ही मीडिया संस्थान का मिलाजुला प्रतिक्रिया रहा है, जिसमें से कुछ संस्थान ऐसे है जो कि मोदी भक्त हैं वहीं कुछ ऐसे भी जो घोर विरोधी हैं। अब देखना ये है कि आखिर इन प्रतिक्रियाओं का मोदी की छवि व चुनाव पर क्या प्रभाव पड़ता है।
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