बंगाल में विद्यासागर पर विवाद।
पक्षिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस (TMC) के कुछ नेताओं के आज अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल बदल ही हैं। ममता बनर्जी सहित TMC के नेताओं की अपनी तस्वीर हटाकर ईश्वर चंद विद्यासागर की तस्वीर लगा ली है और उनके ऐसा करने के पीछे का कारण भी थोड़ा पेचीदा और उलझा हुआ है।
दरअसल बीते कल यानी मंगलवार को पक्षिम बंगाल में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का रोड शो चल रहा था। उस रोड शो के दौरान TMC कार्यकर्ताओं और बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़प हुई। 7 किलो मीटर लंबे इस रोड शो में जब अमित शाह का काफिला गुजर रहा था तभी कोलकाता यूनिवर्सिटी के अंदर बीजेपी कार्यकर्ता और TMC कार्यकर्ता दंगा करने लगे। जहां ईश्वर चंद्र विद्यासागर की प्रतीमा रखी थी और इसी झड़प में विद्यासागर की प्रतिमा टूट गई।
जिसके बाद ऐसा माना जा रहा है कि ममता बनर्जी ने ईश्वर चन्द्र विद्यासागर की प्रतिमा टूटने पर उनके प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हुए अपनी फेसबुक और ट्विटर प्रोफाइल पिक्चर बदल ली है।
हालांकि बीजेपी TMC और ममता बनर्जी के इस तर्क से इत्तेफाक नहीं रखती है। बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के अनुसार मूर्ति के टूटने में बीजेपी कार्यकर्ताओं का हाथ नहीं है। अमित शाह कहते हैं कि कोलकाता यूनिवर्सिटी के अंदर से आकर कुछ लोग दंगा कर रहे थे। कॉलेज का गेट भी बंद था। जहां ईश्वर चंद्र विद्यासागर की प्रतीमा रखी है वो जगह भी कमरों के अंदर है। कॉलेज बंद हो चुका था, सब लॉक हो चुका था, फिर किसने कमरे खोले। ताला भी नहीं टूटा है, फिर चाबी किसके पास थी। कॉलेज में टीएमसी का कब्जा है। बीजेपी कार्यकर्ता वहां नहीं गए थे। ये TMC की चाल है।
अब आपके मन में यह जानने की उत्सुकता बढ़ गई होगी कि ईश्वर चन्द्र विद्यासागर कौन हैं? तो चलिए हम आपको ये भी बता देते हैं। ईश्वर चन्द्र विद्यासागर के बचपन का नाम ईश्वर चन्द्र बन्दोपाध्याय था। उनकी विद्वता के कारण उन्हें विद्यसागर की उपाधि दी गई थी।
विद्यासागर एक दार्शनिक, शिक्षाशास्त्री, लेखक, अनुवादक, मुद्रक, प्रकाशक, उद्यमी, सुधारक एवं मानवतावादी व्यक्ति थे। उन्होने बांग्ला लिपि के वर्णमाला को सरल एवं तर्कसम्मत बनाया। इसके साथ ही उन्होंने संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार का जिम्मा भी उठाया।
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर को समाज सुधारक के रूप में राजा राममोहन राय का उत्तराधिकारी माना जाता है। 1856-60 के मध्य इन्होने 25 विधवाओं का पुनर्विवाह कराया। बंगाल के बच्चे से लेकर वृद्ध व्यक्ति के लिए भी विद्यसागर प्रेरणा के अथाह श्रोत हैं।
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