
बिहार में चुनाव की बहार अपने आखिरी चरण में है। जहाँ एक ओर मतों की गिनती को अंजाम दिया जा रहा है वहीं न्यूज़ टीवी समेत अन्य न्यूज़ पोर्टल पर बिहार चुनाव को अनेक रंगों से सजाया जा रहा है। सबसे ज्यादा मजे सोशल मीडिया पर ट्रोलर्स ने लूटे। लोगों ने कहा कि असल मे ये चुनाव बिहार में न होकर न्यूज़ चैनल्स पर लड़े जा रहे थे। लोगो ने इसके सुबूत भी पेश किए।
अभी हाल में ही अमेरिका का चुनाव बीता है। जिसके चलते भारत मे अच्छी खासी गहमा-गहमी दिखाई दी पत्रकारों का भारतीय राजनीति में हमेशा से काफी दखल रहा है। समाचार चैनल से निष्कासित पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी अमेरिकी चुनाव का हवाला देकर भारत मे राजनीतिक बदलाव की उम्मीद करते नजर आए। जिन्हें ऋचा अनिरुद्ध ने अपने हिसाब से समझाने की कोशिश की
बाजपेई ने कहा कि अमेरिका ने चार साल में अपनी गलती सुधार ली, भारत मे कब .......?
इस पर ऋचा अनिरुद्ध ने उन्हें ज्ञान देते हुए समझाया कि भारत यह कार्य पहले ही कर चुका है। लगभग 2014 में ही भारत ने सालो से चल रही एक ही परिवार की अंधभक्ति, गुलामी और हर इमारत और संस्थान पर परिवारी ठप्पा हटाने का कार्य भारत पहले ही कर चुका है।
अब चर्चा बिहार की हो और रविश कुमार पांडेय न आये तो आनन्द नहीं आता, खासकर तब जबकि उनके खुद के भाई ब्रजेश कुमार बिहार में कांग्रेस के टिकिट पर बिहार में ताल ठोक रहे थे। सुबह जब मतों की गिनती शुरू हुई तो रविश के भाई ब्रजेश कुमार ठीक-ठाक स्थिति में थे लेकिन दोपहर आते आते ब्रजेश पांडेय की हालत खस्ता होने लगी और लोगों ने आरोप लगाए की इस रुझान के साथ रविश कुमार अपनी भाव भंगिमाएं बदलने लगे, यहां आपको बताते चले कि ब्रजेश कुमार पांडेय रविश कुमार के भाई है और उनपर बालात्कार जैसे जघन्य अपराध में जांच भी हुई है।
लोगों ने रविश कुमार के जातिविरोधी मुहिम में झूठा होने के आरोप भी लगाए, दरअसल रविश कुमार मतों की गिनती और रुझानों को लेकर जातिवादी समीकरण साधते हुए नजर आए थे।
रविश कुमार खुद अपनी जुबान से बीजेपी की जीत पर "मेरे लिए बहुत मुश्किल कहते हुए नजर आए"
चुनावी रुझानों पर लल्लनटॉप के एंकरों द्वारा भी चुनावी रुझानों को पलटने की बात को मुद्दा बनाकर डिबेट की गई हालाँकि चुनाव परिणाम कुछ भी हो लेकिन देश की मीडिया भी इन चुनावों में किसी पार्टी की तरह रिएक्ट करती हुई नजर आ रही है।
यहां आपको बताते चले कि बिहार चुनाव की स्थिति अभी तक भी स्पष्ट नही है, प्रत्याशियों के आगे और पीछे रहने की स्थिति बेहद कम मतों से है चुनाव आयोग ने इस मामले में पहले ही आगाह कर दिया है कि वोटिंग ज्यादा होने की वजह से इस बार मतों की गिनती देर रात तक चलेगी, हालांकि देर शाम तक लगभग सभी सीटों के संभावित परिणाम देखने को मिल सकते है
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